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गुरुवार, 21 जून 2012

Mujhe Kavita Bana Diya Usane मुझे कविता बना दीया उसने




कैसा बाँवरा था वो कविताओं का 
इतना शौक रखता था 
नाम रीना है मेरा 
कविता बना दिया उसने...
प्रेम बसाये आँखों में जब भी देखती हूँ उसे 
समझाना कुछ और चाहती हूँ 
पर देखो बाँवरे ने क्या समझा 
छोटी सी आँखों में मेरे 
झील और समुंदर भरकर
कविता बना दिया उसने.....
जब भी उससे कुछ कहती हूँ 
सुनता नहीं वो शब्द मेरे 
खुलते -बंद होते .....
होंठो को देखा 
गुलाब की पंखुड़ियों का नाम देकर 
कविता बना दिया उसने....
सोचा चूड़ियाँ झनकाऊं
बिंदिया चमकाऊं 
थोड़ा उनका मन बहकाऊं 
बाँवरे ने मुझको ही बहका दिया 
चूड़ियों की झंकार सूनी
सुना ना मेरे दिल की धड़कन 
बिंदिया को चंदा -सूरज 
की उपमा दे दी 
और मुझको कविता बना दिया उसने..
उस नादान की नादानी से 
उदास जब हो जाती हूँ 
बंधे केशुवों को खोलकर 
उदास चेहरा जब छुपाती हूँ 
काली घटा ,बादल , रेशम 
जाने क्या - क्या नाम देकर 
मेरे केशुवों पर कविता बना दिया उसने..
मुझे कविता बना दिया उसने...
मुझे कविता बना दिया उसने...




41 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... बहुत बढि़या अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  2. छोटी सी आँखों में मेरे
    झील और समुंदर भरकर
    कविता बना दिया उसने.....
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  3. उसके लिए आप कविता का ही रूप होंगी ...सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. वो कहीं खुद ही कवि तो नहीं :-)

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही बढ़िया
    कोमल भाव लिए रचना.

    जवाब देंहटाएं
  6. उपमाओं के मायाजाल में बाँध कर बना दी गयी कविता...
    अब कविता सी कोमल हृदया के मनोभावों को शब्द शब्द पढ़ा भी जाए, तब होगी सार्थकता:)
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी रचना है .हाँ कविता सा भाव प्रवाह होना नारी का नारीपन है तारल्य है .तभी तो वह कविता बन सरिता सा बहने लगती है भाव उर्मियों पे हो सवार .

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर भाव है रीना.....
    मन भा गयी कविता.....

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  9. खुबसूरत भावनाओ की प्यारी सी कविता....

    जवाब देंहटाएं
  10. पर देखो बाँवरे ने क्या समझा
    छोटी सी आँखों में मेरे
    झील और समुंदर भरकर
    कविता बना दिया उसने.....



    बहुत ही दिलचस्प पोस्ट ......

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर भाव ...!!सुंदर प्रस्तुति ...!!

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहद खूबसूरत शब्दों से रची रचना ....वाह बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  13. क्या से क्या बना दिया....कविता बना दिया...वाह क्य़ा बात है.कवि को सलाम

    जवाब देंहटाएं
  14. प्यार में कितने ही कवि स्वयं कविता बन गए हैं!

    जवाब देंहटाएं
  15. उस नादान की नादानी से
    उदास जब हो जाती हूँ
    बंधे केशुवों को खोलकर
    उदास चेहरा जब छुपाती हूँ
    काली घटा ,बादल , रेशम
    जाने क्या - क्या नाम देकर
    मेरे केशुवों पर कविता बना दिया उसने..

    मन के उठते भावों की सुंदर प्रस्तुति

    MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...

    जवाब देंहटाएं
  16. मन -मोहित कर दिया इस बाबरे मन ने ....

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  18. अद्भुत भावमयी प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  19. कैसा प्रतीत होता है कविता बन कर?
    बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  20. गुलाब की पंखुड़ियों का नाम देकर
    कविता बना दिया उसने....
    सोचा चूड़ियाँ झनकाऊं
    बिंदिया चमकाऊं
    वाह...बहुत सार्थक रचना..शब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें !!

    जवाब देंहटाएं
  21. नाम रीना है मेरा .... बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  22. आँखों से सरिता बना गया,
    गगन में सविता बना गया
    वो कौन है न जानूँ मैं
    भावों की कविता बना गया ||

    बहुत खूब......

    जवाब देंहटाएं
  23. कल 24/06/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  24. उदास जब हो जाती हूँ
    बंधे केशुवों को खोलकर
    उदास चेहरा जब छुपाती हूँ
    काली घटा ,बादल , रेशम
    जाने क्या - क्या नाम देकर
    मेरे केशुवों पर कविता बना दिया उसने..
    मुझे कविता बना दिया उसने...
    मुझे कविता बना दिया उसने...


    भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...
    हार्दिक बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  25. प्रकृति और पुरुष ,नारी और पुरुष का नैसर्गिक आकर्षण तारल्य पैदा करता है .प्रेम व्यक्ति को तरल और सरल बनाए रहता है मुग्धा भाव लिए .

    जवाब देंहटाएं
  26. जाने क्या - क्या नाम देकर
    मेरे केशुवों पर कविता बना दिया उसने..
    मुझे कविता बना दिया उसने...

    शब्द शब्द दिल को छू रहे हैं. सुंदर मनमोहनी प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  27. उदास जब हो जाती हूँ
    बंधे केशुवों को खोलकर
    उदास चेहरा जब छुपाती हूँ
    काली घटा ,बादल , रेशम
    जाने क्या - क्या नाम देकर
    मेरे केशुवों पर कविता बना दिया उसने..

    प्रेम और निष्ठां का अद्भुत संगम

    जवाब देंहटाएं
  28. और बन गई एक खूबसूरत सी कविता |

    जवाब देंहटाएं
  29. सुन्दर मनमोहक रचना......फूल बरसाती आपकी पोस्ट - वाह !

    जवाब देंहटाएं
  30. गुलाब की पंखुड़ियों का नाम देकर
    कविता बना दिया उसने....
    सोचा चूड़ियाँ झनकाऊं
    बिंदिया चमकाऊं
    बहुत ही सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  32. (बस यूँ ही कुछ शब्द आये मन में....
    और ये कविता बन गई..
    :-)

    ये इतना छोटा क्यों लिखा है ;) खैर, बहुत ही सुन्दर कविता बनी है ये तो :)

    जवाब देंहटाएं

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