आज मैंने देखा सड़क पर
एक नन्हा सांवला बच्चा
प्यारा सा,, खाने की थाली में कुछ ढूंढ़ता हुआ
उस थाली में था भी तो ढ़ेर सारा पकवान .....
वहीँ पास उसकी बहन थी
जो एक सुन्दर से दिए के
साथ खेल रही थी .....
दिए की रोशनी से उसकी आँखे चमचमा रहीं थी
वो छोटी सी झोपड़ी भी दिए के
रोशनी से रोशन हो गयी थी...
वरना दूर सड़क पर की स्ट्रीट लाइट
का सहारा तो था ही...
बगल में बैठी उसकी माँ
अपने बच्चों की ख़ुशी से
फूली नहीं समां रही थी...
थोड़ी ही दूर अगले मोड़ पर एक दावत थी..
सेठ जी के पोते का मुंडन था...
शायद वहां के सेठ-या सेठानी
इनपर मेहरबान हुए होंगे
तभी तो आज यहाँ भी जश्न का माहौल है...
शायद जब महलों में दिया जलता है
तभी होती है इन झोपड़ियों में रोशनी ....
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शनिवार, 12 जनवरी 2013
Ek jashn aisa bhi एक जश्न ऐसा भी ..
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sundar post...
जवाब देंहटाएंउनकी आँखें दीयों से कम नहीं ....
जवाब देंहटाएंअमीरी गरीबी की झलक दिखाती एक मार्मिक प्रस्तुती। पर एक बात तो कहना चाहूँगा 'आमिर और गरीब का फर्क कितना नगण्य है,एक ही दिन की भूख और एक ही घंटे की प्यास दोनों को समान बना देती है।"
जवाब देंहटाएंह्म्म्म्म.... शायद... ऐसा ही हो...! दुख होता है मगर...है ना !
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
मर्मस्पर्शी ... अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतभी होती है
जवाब देंहटाएंइन झोपड़ियों में रोशनी ....
और मनाते हैं
ये जश्न
दिवाली सा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!
thank you sir....
हटाएं:-)
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबढ़िया विषय |
शुभकामनायें आदरेया ||
"जब महलों में दिया जलता है
जवाब देंहटाएंतभी होती है इन झोपड़ियों में रोशनी ...."
सशक्त विषय पर सच कहती रचना..
जवाब देंहटाएंrecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
ek ktu sch vya karati rachana
जवाब देंहटाएंaapne sahi likha kyonki unki kushi ko sirph ve hi mahsus kar sakte hain........
जवाब देंहटाएंहकीकत तो यही है. सशक्त अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर रचना. महलें की "रौशनी" की वजह और महलें ही घोर अधकार की भी. कड़वा सच.
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
समाज में पल रही विषमता को रेखांकित करती रचना -साधु!
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति, सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंलोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.
समाज की विडंबना है झोंपड़े में दिए महलों की रोशन होने पे ही होते हैं ...
जवाब देंहटाएंप्रभावी लिखा है बहुत ...
गरीब की ख़ुशी का आपने सुन्दर नक्षा खींचा है। काश की गरीबों को ऐसी खुशियाँ रोज मिलती रहें।
जवाब देंहटाएंकड़वा सच।
जवाब देंहटाएंढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस
शायद जब महलों में दिया जलता है
जवाब देंहटाएंतभी होती है इन झोपड़ियों में रोशनी ....
मार्मिक अभिव्यक्ति ....
मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
बहुत खुबसूरत भावों की लडियां
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली अभिवयक्ति | अक्सर इनके साथ ऐसा होते देखा है |
जवाब देंहटाएंHindi Tips : आप भी दिखाएं Stroked Text Effect अपने ब्लॉग पर बिना फोटोशाप के |
मार्मिक रचना ...लोहिड़ी व मकर संक्रांति पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंमहलों के दिये तो रोज ही रोशन हैं । कभी कभी ईश्वर झोपडों पर भी मेहेरबान हो जाता है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भावस्पर्शी रचना ।
मार्मिक किन्तु सत्य।
जवाब देंहटाएंsunder rchna..badhayee
जवाब देंहटाएंशायद जब महलों में दिया जलता है
जवाब देंहटाएंतभी होती है इन झोपड़ियों में रोशनी ....
...कटु सत्य...काश हर झोंपड़ी अपने दिये से रोशन होती...बहुत प्रभावी रचना..
बहुत सही कहती कहानी रीना जी |मकर संक्रांति पर आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह !सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंशायद जब महलों में दिया जलता है
तभी होती है इन झोपड़ियों में रोशनी ..
जिंदगी का एक कड़वा सच
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंमन को छूती पोस्ट ... हकीकत बयां करती हुई
जवाब देंहटाएंbahut sundar Rachna...
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/
बहुत ही अच्छी लेखनी बहुत ही सुन्दर कविता |रीना जी आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता लिखी आपने...मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .मार्मिक प्रासंगिक .
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति कड़वा सच
जवाब देंहटाएंथोड़ी ही दूर अगले मोड़ पर एक दावत थी..
सेठ जी के पोते का मुंडन था...
शायद वहां के सेठ-या सेठानी
इनपर मेहरबान हुए होंगे
तभी तो आज यहाँ भी जश्न का माहौल है...
शायद जब महलों में दिया जलता है
तभी होती है इन झोपड़ियों में रोशनी ....
वाह जी बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाकई..
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !
bhaavpradhan rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
Badhiya chitran aur ant tak ek sachhayi bya karti hui badhiya post...
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना को कविता मंच पर साँझा किया गया है
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
कविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in