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शनिवार, 11 मई 2013

Jhut Jhut Ya Sacha Pyaarझूठा झूठ या सच्चा प्यार ....



सच के साथ ही 
झूठ भी चलता है कहीं- कहीं 
कुछ -कुछ थोड़ा कुछ
जिसे तुम्हारी नजर से छुपाया है.......
उसे बाहर निकालूँ तो न जाने 
कितनी ही बाते सामने आएँगी ......
जो तुमसे झूठ कहा है मैंने
या कभी कहा ही नहीं....
पर्त- दर-पर्त झूठ का पर्दा 
खुलता ही जायेगा
कुछ छोटा झूठ , कुछ बड़ा झूठ
कुछ वजह लिए , कुछ बेवजह सा....
तुमने कहा तुम्हे नीला रंग पसंद है
मैंने भी तुम्हारी हाँ में हाँ मिला दी .....
तुमने कहा मुझे तुम पहली ही
 नजर में पसंद आ गयी थी  ......
अब मैं क्या कहूँ
जरुरी नहीं जो तुम्हारे साथ हुआ
वो मेरे साथ भी हो
पर तुम्हारी खुशी के लिए .....
चलो हाँ ... एक झूठ और
पहले भी न जाने कितने ही झूठ बोली हूँ ......
और अब भी बोल रही हूँ
और आगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
कभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से 
कभी तुम्हें खो देने के डर से...
ये सही है या गलत पता नहीं .......
पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
एक बार ऐसा करके तो देखना ......
फिर देखना मेरे झूठ का रंग
और बताना मुझे 
झूठ ज्यादा झूठा है....
या प्यार जादा सच्चा.....

बस यूँ ही 
सच में नहीं पता झूठ जादा झूठा है या प्यार जादा सच्चा.. आप बताइए...

:-)

26 टिप्‍पणियां:

  1. झूठ भी प्यारा ...प्यार भी प्यारा....
    <3

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. nice lines पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
    तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
    एक बार ऐसा करके तो देखना ......
    फिर देखना मेरे झूठ का रंग
    और बताना मुझे
    झूठ ज्यादा झूठा है....
    या प्यार जादा सच्चा.....

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत मुश्किल है सच और झूठ में अंतर कर पाना हम जिसे बहुत जियादा प्यार करते हैं उसे खो न दें इस डर कुछ अलग कह देते हैं ये कहाँ झूठ है ?वैसे आपने बहुत विचारणीय लिख दिया *****

    जवाब देंहटाएं
  4. Jhoothi Si Vajah Liye Hue Aapki Ye Sach-Jhooth Ki Jadojahad Sachhi Hai,Kabhi Na Khatm Hone Wale Ek Sachhe Pyar Ke Lie...

    जवाब देंहटाएं
  5. ये झूठ नहीं सच से ज्यादे सच्चे सच हैं ...
    बहुत लाजवाब लिखा है ...

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छी रचना बहुत सुंदर..

    ए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
    मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।


    समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.

    बस ! अब बक-बक ना कर मां...

    http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी रचना बहुत सुंदर..

    ए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
    मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।


    समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.

    बस ! अब बक-बक ना कर मां...

    http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129

    जवाब देंहटाएं
  8. प्यारा सा झूठ बहुत सुंदर....

    जवाब देंहटाएं
  9. बस यूँ ही एक खूबसूरत सी रचना .....बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  10. पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
    तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
    एक बार ऐसा करके तो देखना ......
    फिर देखना मेरे झूठ का रंग
    और बताना मुझे
    झूठ ज्यादा झूठा है....
    या प्यार जादा सच्चा.....wakai men bahut acchhi panktiyan

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर और गहन.........Jhooth seema rekha se bahar na jaye to chal jata hai........Jhooth par bani imarten bahut jaldi gir jaati hain

    जवाब देंहटाएं
  12. झूठ के साथ सब चलता है----
    प्यार में सब चलता है
    कोई तो बता दे प्रेम में ऐसा क्यों होता है
    वाह मन की सुंदर अनुभूति
    बधाई

    आग्रह है पढ़ें "अम्मा"
    http://jyoti-khare.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  13. ऐसे झूठ में सच्चा प्यार झलकता है
    बहुत सुन्दर
    साभार!

    जवाब देंहटाएं
  14. आगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
    कभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से
    कभी तुम्हें खो देने के डर से...
    ये सही है या गलत पता नहीं .......
    पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
    तो उसे मेरे प्यार से सजा देना

    bahut pyare bhaav liye hai rachna

    shubhkamnayen

    जवाब देंहटाएं
  15. झूठ अपनी जगह है और प्यार अपनी जगह
    दोनों के बिना जीवन अधूरा है
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    सादर

    आग्रह है पढें
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  16. सच्ची झूठी ही सही प्रेम की भावना तो है
    मे झूठ बोलने मे माहिर हूँ शायद इसलिए मुझे आपके प्रश्न का उत्तर देने मे उलझ गया हूँ
    वैसे कविता बहुत सुंदर है जैसे काव्य के उपवन से कोई गुलदस्ता बनाया हो
    और झूठ अच्छा होता है मुझे तो लगता है झूठ भी इक कला है

    जवाब देंहटाएं
  17. झूठ ज्यादा झूठा है....
    या प्यार जादा सच्चा.....
    या शायद कुछ और है जो सच और झूठ से परे है

    जवाब देंहटाएं
  18. पर तुम्हारी खुशी के लिए .....
    चलो हाँ ... एक झूठ और
    पहले भी न जाने कितने ही झूठ बोली हूँ ......
    और अब भी बोल रही हूँ
    और आगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
    कभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से
    कभी तुम्हें खो देने के डर से...
    ये सही है या गलत पता नहीं .......
    पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
    तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
    एक बार ऐसा करके तो देखना ......
    फिर देखना मेरे झूठ का रंग
    और बताना मुझे
    झूठ ज्यादा झूठा है....
    या प्यार जादा सच्चा....
    बहुत सुन्दर,साभार!

    जवाब देंहटाएं

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