सच के साथ ही
झूठ भी चलता है कहीं- कहीं
कुछ -कुछ थोड़ा कुछ
जिसे तुम्हारी नजर से छुपाया है.......
उसे बाहर निकालूँ तो न जाने
कितनी ही बाते सामने आएँगी ......
जो तुमसे झूठ कहा है मैंने
या कभी कहा ही नहीं....
पर्त- दर-पर्त झूठ का पर्दा
खुलता ही जायेगा
कुछ छोटा झूठ , कुछ बड़ा झूठ
कुछ वजह लिए , कुछ बेवजह सा....
तुमने कहा तुम्हे नीला रंग पसंद है
मैंने भी तुम्हारी हाँ में हाँ मिला दी .....
तुमने कहा मुझे तुम पहली ही
नजर में पसंद आ गयी थी ......
अब मैं क्या कहूँ
जरुरी नहीं जो तुम्हारे साथ हुआ
वो मेरे साथ भी हो
पर तुम्हारी खुशी के लिए .....
चलो हाँ ... एक झूठ और
पहले भी न जाने कितने ही झूठ बोली हूँ ......
और अब भी बोल रही हूँ
और आगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
कभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से
कभी तुम्हें खो देने के डर से...
ये सही है या गलत पता नहीं .......
पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
एक बार ऐसा करके तो देखना ......
फिर देखना मेरे झूठ का रंग
और बताना मुझे
झूठ ज्यादा झूठा है....
या प्यार जादा सच्चा.....
सच में नहीं पता झूठ जादा झूठा है या प्यार जादा सच्चा.. आप बताइए... :-) |
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शनिवार, 11 मई 2013
Jhut Jhut Ya Sacha Pyaarझूठा झूठ या सच्चा प्यार ....
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झूठ भी प्यारा ...प्यार भी प्यारा....
जवाब देंहटाएं<3
सस्नेह
अनु
nice lines पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
जवाब देंहटाएंतो उसे मेरे प्यार से सजा देना
एक बार ऐसा करके तो देखना ......
फिर देखना मेरे झूठ का रंग
और बताना मुझे
झूठ ज्यादा झूठा है....
या प्यार जादा सच्चा.....
बहुत बढ़िया मैम !
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल है सच और झूठ में अंतर कर पाना हम जिसे बहुत जियादा प्यार करते हैं उसे खो न दें इस डर कुछ अलग कह देते हैं ये कहाँ झूठ है ?वैसे आपने बहुत विचारणीय लिख दिया *****
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंJhoothi Si Vajah Liye Hue Aapki Ye Sach-Jhooth Ki Jadojahad Sachhi Hai,Kabhi Na Khatm Hone Wale Ek Sachhe Pyar Ke Lie...
जवाब देंहटाएंये झूठ नहीं सच से ज्यादे सच्चे सच हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब लिखा है ...
pyaare se jhoot ki aad me sachcha pyaar ..sundar rachna .
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.
बस ! अब बक-बक ना कर मां...
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129
अच्छी रचना बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.
बस ! अब बक-बक ना कर मां...
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129
प्यारा सा झूठ बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंबस यूँ ही एक खूबसूरत सी रचना .....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंपर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
जवाब देंहटाएंतो उसे मेरे प्यार से सजा देना
एक बार ऐसा करके तो देखना ......
फिर देखना मेरे झूठ का रंग
और बताना मुझे
झूठ ज्यादा झूठा है....
या प्यार जादा सच्चा.....wakai men bahut acchhi panktiyan
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और गहन.........Jhooth seema rekha se bahar na jaye to chal jata hai........Jhooth par bani imarten bahut jaldi gir jaati hain
जवाब देंहटाएंkya khoob kahi hai...bahut sundar nazm :)
जवाब देंहटाएंझूठ के साथ सब चलता है----
जवाब देंहटाएंप्यार में सब चलता है
कोई तो बता दे प्रेम में ऐसा क्यों होता है
वाह मन की सुंदर अनुभूति
बधाई
आग्रह है पढ़ें "अम्मा"
http://jyoti-khare.blogspot.in
ऐसे झूठ में सच्चा प्यार झलकता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
साभार!
बहुत ही उम्दा
जवाब देंहटाएंआगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
जवाब देंहटाएंकभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से
कभी तुम्हें खो देने के डर से...
ये सही है या गलत पता नहीं .......
पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
bahut pyare bhaav liye hai rachna
shubhkamnayen
झूठ अपनी जगह है और प्यार अपनी जगह
जवाब देंहटाएंदोनों के बिना जीवन अधूरा है
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
सादर
आग्रह है पढें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
सच्ची झूठी ही सही प्रेम की भावना तो है
जवाब देंहटाएंमे झूठ बोलने मे माहिर हूँ शायद इसलिए मुझे आपके प्रश्न का उत्तर देने मे उलझ गया हूँ
वैसे कविता बहुत सुंदर है जैसे काव्य के उपवन से कोई गुलदस्ता बनाया हो
और झूठ अच्छा होता है मुझे तो लगता है झूठ भी इक कला है
झूठ ज्यादा झूठा है....
जवाब देंहटाएंया प्यार जादा सच्चा.....
या शायद कुछ और है जो सच और झूठ से परे है
पर तुम्हारी खुशी के लिए .....
जवाब देंहटाएंचलो हाँ ... एक झूठ और
पहले भी न जाने कितने ही झूठ बोली हूँ ......
और अब भी बोल रही हूँ
और आगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
कभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से
कभी तुम्हें खो देने के डर से...
ये सही है या गलत पता नहीं .......
पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
एक बार ऐसा करके तो देखना ......
फिर देखना मेरे झूठ का रंग
और बताना मुझे
झूठ ज्यादा झूठा है....
या प्यार जादा सच्चा....
बहुत सुन्दर,साभार!
dusre ki kushi k liy Jhoot uchit h.
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