----नन्हीं चिड़िया---
जो उड़ना चाहती थी अपने हिस्से कि उड़ान
देखना चाहती थी खुला आसमान ......
नापना चाहती थी अपने हौसलों कि ऊंचाई को
और पूरा करना चाहती थी
अपने कुछ अरमान .......
पर ऐसा हो ना पाया
निकली छोड़कर जब घोंसला अपना
चील -कौवों के तो हो गए वारे- न्यारे ,,,,
थी इस सत्य से वो अंजान
कि, कुछ नशीली आँखे,,,,
उसकी ऊंचाइयों को देख नहीं पा रहीं है
कुछ कि चोंच उसे नोच खाने
को बेसब्र , बड़ी आतुरता से
अपने पुरे वेग से उसकी ओर बढ़े जा रहा है .......
देख इनकी दृष्टता मन घबराया
बचाने अपने दामन को
झट्ट लौट आई,,,,
अपने उस नन्हें घोंसले में
क्या ये घोंसला ही उसकी मर्यादा बनकर रह गयी है
सवाल???
ह्रदय दहलाने वाला सवाल ???
वो पुरुष जो माता के बराबर ही सृजनकर्ता है ,,,,,
जो बरगद कि छाँव कि तरह है ,,,,,
रक्षाबंधन पर अपनी बहन कि
रक्षा करने का वचन लेता है ,,,,,
फिर क्यूँ वो अपने घरों से बाहर निकलकर
बन जाता है चील और कौवा,,,,
नोंच खाने को तत्पर - व्याकुल ......
एक नन्हीं चिड़िया
क्यूँ देखती है सभी को शक कि नजर से
सवाल ???
मन को डरानेवाला ???
ब्लॉग में कुछ परिवर्तन कि वजह से गूगल + से और बाकि सारे कमेंट मुझसे डिलीट हो गए है..आप सभी ने अपना अमूल्य समय देकर मेरी रचनाओं को पढ़ा,,और अपनी टिप्प्णियों से सराहा,,और वो सारी टिप्प्णियां मुझसे डिलीट हो गयी...
जवाब देंहटाएंजिसके लिए मै आप सभी से माफी चाहूंगी,,,
Mahendra Gupta shared your blog post on Google+
पर नन्ही चिड़िया के सवाल का जवाब किसी के पास नहीं.बाज और शिकारी टूट पड़ने को आतुर हैं, इसिलए समाज व उसकी व्यवस्था धवस्त होती जा रही है प्रतीकात्मक. सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद्.कुछ सोच ने को मजबूर करती कविता.
Prritiy commented on your blog post
sunder rachna
shubhkamnayen
Asha Saxena shared your blog post on Google+
जवाब देंहटाएंउम्दा और सटीक प्रस्तुती |
Asha Joglekar shared your blog post on Google+
नन्ही चिडिया के सवाल का उत्तर किसके पास है। उसे ही करने होंगे अपने पंख मजबूत।
Dr.Jenny shabnam shared your blog post on Google+
जवाब देंहटाएंसवालों से घिरी ज़िंदगी जिसके सभी सवाल ह्रदय दहलाते हैं... उम्दा रचना के लिए बधाई.
abhishek shukla replied to Neeraj Kumar
जवाब देंहटाएंbehtareen
Neeraj Kumar shared your blog post on Google+
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति