जब दुःख का जहर
उफनता है
मन छोटा हो जाता है
दिल रोता है
जब सोच- सोचकर उसकी बातें
दुखती है दिमाग की
नस – नस
पर ना देखे कोई और
मेरे इस दर्द की सच्चाई को
तो लो एक बार फिर
ओढ़ लिया है मैंने
मुस्कुराहटों का लिबास
फिर से तुम्हारा सच छिप गया
और मेरा झूठ निखर गया
मेरी मुस्कुराहटों के पीछे
जीवन की विषम परिस्थितियों में मुस्कराहट बहुत काम आती है ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति रीना जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण कविता.
जवाब देंहटाएंओढ़ लिया है मैंने मुस्कुराहटों का लिबास
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ओढ़ लिया है मैंने मुस्कुराहटों का लिबास
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।।।।
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