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मंगलवार, 13 अगस्त 2019

प्रगतिपथ अपनाओ तुम



एक माँ के दो बेटे 
आपस में बैर रखते है 
धर्म की चादर ओढ़ के 
एक-दूजे से लड़ते - झगड़ते है 
प्रेम की भाषा को समझो तुम 
हिंसा से कुछ न पाओगे 
जाति-धर्म के नाम पर 
क्या लाशे ही बिछाओगे 
मर गए देखो कितने भाई 
अब कितना लहू बहाओगे 
रोती है माँ बिलख -बिलखकर 
अब कितने चिराग बुझाओगे 
सुनो ऐ भाई , सुनो ऐ बंधू 
यह देश हमारी शान है 
जिसको तुम हानि पहुँचाते
वो मिट्टी बड़ी महान है 
इस मिट्टी की लाज रखो तुम 
क्यों आपस में लड़ते हो 
होगा कुछ ना हासिल तुमको 
बात नहीं तुम समझते हो 
वर्तमान की माँग को समझो 
प्रगतिपथ अपनाओ तुम 
जीवन देखो सुखमय होगा
बस दिल से दिल को मिलाओ तुम 

रीना मौर्य मुस्कान

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