माँ रहती है तो सबकुछ
कितना आसान होता है
जैसे कोई गम ...
कोई दुःख ...
कोई कठिनाई ...
बस छूकर निकल गई हो जैसे
हर तकलीफ हर गम से माँ उबारती है
बड़े ही सलीके और प्यार से समझाती है
हिम्मत और हौंसला है माँ
माँ तुझसे ही है मेरा जहाँ .....
माँ एक शब्द
कितने अहसास
कितना प्रेम ,
कितने अपनत्व,
कितने जज्बात
भर आँचल ममता ,
कितनी ही चिंता,,
हरपल आँखों में
प्यारा सा सपना सजाती
अपने लाड़ले - लाड़लियों के लिए
कितने ही त्याग देती
एक चलती- फिरती मुस्कुराती देवी है माँ...
माँ तुझसे ही है मेरा जहाँ .....
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रविवार, 5 जनवरी 2014
mamta ki chhanv ममता कि छाँव
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बहुतही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ ही होती है उस जैसा और कोई हो ही नहीं सकता। सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....:)
जवाब देंहटाएंसुंदर ....मर्म को छूते भाव.....
जवाब देंहटाएंmaa to bas maa hai , iske aage kya kahna ...
जवाब देंहटाएंमाँ तुझसे ही है मेरा जहाँ .....बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव.......
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना....
सस्नेह
अनु
माँ वह दर्पण है जिसमे बच्चे का हर रूप दिखाई देता है |
जवाब देंहटाएंनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
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बहुत सुंदर. गहन भाव.
जवाब देंहटाएंसच में माँ ऐसी ही होती है ! बहुत ही कोमल एवँ मर्मस्पर्शी रचना !
जवाब देंहटाएंऐसी ही होती है माँ ! बहुत ही कोमल एवँ मर्मस्पर्शी रचना !
जवाब देंहटाएंSach kaha .....sundar rachna..dil ko chute bhav
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावुक रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण ... माँ से ये जहान है उसी से सब खुशियाँ ... वो चाहे किसी भी पल को ख़ुशी में बदल सकती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .. माँ के बारे में जितना कहा जाये कम ही है ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंमाँ ही जीवन का सार्थक सृजन देती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावुक
बहुत खूब--
बहुत बहुत बधाई
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐं
behatarin nahin naayab shabd aue bhawanayen
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर जी
जवाब देंहटाएं:-)
धन्यवाद :-)
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव ... माँ तो बस माँ है
जवाब देंहटाएंमाँ का स्थानापन्न तो कोई भी हो ही नहीं सकता..बहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंमाँ एक शब्द
जवाब देंहटाएंकितने अहसास
कितना प्रेम ,
कितने अपनत्व
कितने जज्बात
माँ का संसार सचमुच अद्भुत है जो पग-पग में विस्मृत कर देता है ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंमाँ पर सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमन के भावों का विस्तार कविता की अभिव्यक्ति में दिख रहा है.
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी यह रचना ....!!
atiutam--***
जवाब देंहटाएंमाँ सम दूजा कौन जगत में।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...माँ को नमन...
जवाब देंहटाएंhttp://himkarshyam.blogspot.in
बहुत सुन्दर रचना |
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
khubsurat post
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