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रविवार, 11 सितंबर 2011

Mujhe Maaf Karana मुझे माफ़ करना

 मुझे माफ़ करना 
कविता लिखने तो बैठी थी 
पर कुछ याद नहीं आया 
कोई शब्द नहीं मिला 
कुछ जज्बात भी नहीं आया

 मुझे माफ़ करना 
आज उदास है मेरा मन 
कुछ शब्दों की कमी 
और झिलमिलाते ये मेरे नयन 

मुझे माफ़ करना 
आज कुछ कह नहीं पाऊँगी 
समझ सकते हो तो 
पड़ लो मेरी ख़ामोशी 
क्यूंकि आज मै कुछ लिख नहीं पाऊँगी

मुझे माफ़ करना 
आज भावना कुछ बड़ी है 
कहने को तो बहुत कुछ कहना है
पर शब्दों की कमी है.

5 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

    जवाब देंहटाएं
  2. आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |

    फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. आज भावना कुछ बड़ी है
    कहने को तो बहुत कुछ कहना है
    पर शब्दों की कमी है. janha bhavana bad jaye sabad apne arth khne lagate hai bahut hi sunder anter man ke vytha ki prastuti

    जवाब देंहटाएं

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