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बुधवार, 11 दिसंबर 2013

Kaha Ho Tum कहाँ हो तुम



सप्ताह के अंत में
होता था तुम्हारा आना …
वो एक शाम 
जो गुजारा करते थे 
तुम मेरे नाम ......
प्रेम कि उष्णता लिए
होंठो पर ढ़ेर सारी मुस्कान
बिसराकर सारे गम - और - ख़ुशी 
हो जाती तुम्हारे प्रेम में
मै पगली गुमसुम गुमनाम.....
पिछले कई सप्ताह से
कर रही हूँ तुम्हारा इंतजार ....
कहाँ खो गए तुम .....
वो प्रेम कि ऊष्मा अब
इंतजार कि ठंड में बदल रही है ....
आँखों के बरसते आंसू अब
इंतजार कि हद बता रहें हैं ....
कहाँ हो तुम
कहाँ चले गए.....


14 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग में कुछ परिवर्तन कि वजह से गूगल + से और बाकि सारे कमेंट मुझसे डिलीट हो गए है..आप सभी ने अपना अमूल्य समय देकर मेरी रचनाओं को पढ़ा,,और अपनी टिप्प्णियों से सराहा,,और वो सारी टिप्प्णियां मुझसे डिलीट हो गयी...
    जिसके लिए मै आप सभी से माफी चाहूंगी,,,

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  2. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति.......

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  3. मिलन और जुदाई सिलसिला प्यार का
    सुन्दर कविता

    जवाब देंहटाएं
  4. वो प्रेम कि ऊष्मा अब
    इंतजार कि ठंड में बदल रही है ....
    आँखों के बरसते आंसू अब
    इंतजार कि हद बता रहें हैं ....
    कहाँ हो तुम
    कहाँ चले गए.....
    behatarin bhaw sanjoye milan aur bichhoh ke

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाव की सुन्दर प्रस्तुति !
    नई पोस्ट विरोध
    new post हाइगा -जानवर

    जवाब देंहटाएं
  6. Intsjsr hsi hrr itaana dusht ki prem kee ushma dheere dheere kum kum hoti chali jati hai.

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  7. sundar rachna .............pyar to aapke paas hi hai bas use aankhe band kar mahsus kijiye ...........

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