पहली बार मुझमे खुशियो का आगाज हुआ
पहली बार मुझे मेरे रूप का आभास हुआ
पहली बार मन मोहिनी हवा चली
क्योंकि ,,,, शायद मै तुमसे मिली.
पहली बार तेरे मेरे नैनो का मेल
पहली बार मै उंगलियों से खेल रही हु खेल
शरमाई आँखे मेरी झुक गयी
क्योंकि ,,,,,, शायद मै तुमसे मिली
पहली बार हुआ प्यार का अहसास
पहली बार हुआ दिल बेक़रार
हर वक़्त मिलने की तमन्ना जगी
क्योंकि ,,,,,, शायद मै तुमसे मिली
पहली बार मै तुमसे मिलने आई
वो सुकून भरी ख़ुशी तूम्हारी आँखों में झाई
पहली बार हुई शब्दों में बातो की शुरुवात
पहली बार जगे दिल में नए अहसास
पहली बार मै फूल की तरह खिली
क्योंकि ,,,,,,,शायद मै तुमसे मिली
पहली बार दिल ने कुछ सपने बुने
पहली बार उपहार देने के लिए मैंने कुछ फूल चुने
पहली बार मन गुदगुदाया
और हुई ख़ुशी से मै बावरी
क्योंकि ,,,,,,,,,शायद मै तुमसे मिली......
पहली बार दिल ने कुछ सपने बुने
जवाब देंहटाएंपहली बार उपहार देने के लिए मैंने कुछ फूल चुने
bahut hi sundar
वाह वाह रीना जी..
जवाब देंहटाएंबहुत मीठी सी रचना...
पहली मुलाकात की ,पहले प्यार की ..
अच्छा है ..हलचल के माध्यम से कुछ अच्छी पुरानी रचनाये भी पढ़ने मिलती हैं...
बधाई.
बड़ी प्यारी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन के भाव ...आप ने बहुत ही प्यारी कविता लिखी है....
जवाब देंहटाएंbhaut hi pyare bhaav se rachi rachna....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर.....
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