कितना बदल दिया था
खुद को तुम्हें पाने के लिए
कैसी जिज्ञासा थी वो ????
कैसा बचपना था ???
कैसा बचपना था ???
जरा भी ना सोचा
की कब तक पहन सकुंगी
ये झूठा मुखौटा .....
तुम्हें पाने के नाम पर
खुद को भूलती जा रही हूँ
आज इस मुखौटे को
उतार कर तो देखूँ
की , कितना पीछे छोड़ दिया है खुद को
या अभी भी मेरा अस्तित्व
इस मुखौटे के पीछे दम तोड़ रहा है...
अब भी इसमे कुछ जान बाकि है
बेचारा ,,,,कितना घुटा होगा इस मुखौटे के पीछे
कैसे भूल गई मै,,,,
मेरा यही अस्तित्व तो मेरी पहचान है......
इस मुखौटे की तरह नहीं
जिसे मैंने पहना था
कुछ समय पहले .......
तभी से तो लोग कहने लगे
की,,,तू कितना बदल गई है....
क्या मेरा बदलना सही था..
जब इस मुखौटे का रंग फीका पड़ता
तो मेरा असली अस्तित्व
सामने आ ही जाता न...
उस वक्त क्या करती मैं
फिर एक नया मुखौटा लगाती
अच्छा किया जो आज
तुम्हें भुलाने का फैसला किया...
तभी तो अंतर्मंथन कर
पाई हूँ स्वयं का ....
और देखो.....
जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....
तभी तो कहते हैं ..प्रेम अंधा होता है...इस में डूब कर आप खुद को भी नहीं देख पाते हो......
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति रीना.
खुद को पाने के क्रम में जो खोया/भुलाया उसका क्या?
जवाब देंहटाएंउहापोह और अंतर्द्वंद की रचना
वाह! तुमको पाके खुद से दूर हो गए थे हम ......!!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
Waah ----bahut bahut sundar ta ke saath man ke antardvand ko shabdon me ukera hai----
जवाब देंहटाएंbadhai
poonam
खुद को पा लिया है मैंने...लेकिन भूलना बहुत मुश्किल है... सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...प्रेम और दर्द की अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....
जवाब देंहटाएंमन मोहक सुंदर प्रस्तुति ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
बहुत खूब रीना जी...... अपनी पहचान स्वयं से करवाती रचना... कितना सही लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंतुम्हें भुलाने का फैसला किया...
तभी तो अंतर्मंथन कर
पाई हूँ स्वयं का ....
और देखो.....
जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....
बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंअस्तित्व की तलाश करती सुन्दर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंकैसा बचपना था ???
जवाब देंहटाएंजरा भी ना सोचा
की कब तक पहन सकुंगी
ये झूठा मुखौटा .....
तुम्हें पाने के नाम पर
लाजवाब रचना
....अच्छा किया जो आज
जवाब देंहटाएंतुम्हें भूलने का फैसला किया
वाह... एक खूबसूरत फैसला.. एक विचारणीय पोस्ट.
जहाँ तक मुझे लगता है कि सच में किसी को भूलने के फैसले में खुद को हासिल करने जैसे हालात की गुंजाइश होती ही नहीं है... शायद...
अच्छा किया जो आज
जवाब देंहटाएंतुम्हें भुलाने का फैसला किया...
तभी तो अंतर्मंथन कर
पाई हूँ स्वयं का ....
और देखो.....
जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने...बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति.......
कविता भावनाओं से ओतप्रोत है |नारी मन की व्यथा उभर -उभर कर आरही है|शब्द -शब्द इसका गवाह है |संवेदना पूर्ण कविता दिल को छू गई |
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंlajwab prastuti
जवाब देंहटाएंएहसास ..
जवाब देंहटाएंयकीं है इस एहसास पर?
जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अहसास कविता में.
बधाई.
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं(अरुन =arunsblog.in)
आपने सही लिखा है ''जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने..'' यही एक हकीकत है जो मेच्योर होने के बाद समझ में आती है.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बेहतरीन प्रस्तुति.....भूलना आसान नहीं है
जवाब देंहटाएंबहुत गहन, भावपूर्ण और सशक्त प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंbhawpoorn.....
जवाब देंहटाएंजबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....
जवाब देंहटाएंउन्हें खोके हमने खुद को पा लिया है ,
एक और मुकाम हासिल किया है ,
तजुर्बों का .
बढ़िया रचना है रीना जी .
.उन्हें खोके हमने खुद को पा लिया है ,
जवाब देंहटाएंएक और मुकाम हासिल किया है ,
तजुर्बों का .
बढ़िया रचना है रीना जी . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
रविवार, 10 जून 2012
टूटने की कगार पर पहुँच रहें हैं पृथ्वी के पर्यावरण औ र पारि तंत्र प्रणालियाँ Environment is at tipping point , warns UN report/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,NEW DELHI,JUNE 8 ,2012,१९
http://veerubhai1947.blogspot
.उन्हें खोके हमने खुद को पा लिया है ,
जवाब देंहटाएंएक और मुकाम हासिल किया है ,
तजुर्बों का .
बढ़िया रचना है रीना जी . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
रविवार, 10 जून 2012
टूटने की कगार पर पहुँच रहें हैं पृथ्वी के पर्यावरण औ र पारि तंत्र प्रणालियाँ Environment is at tipping point , warns UN report/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,NEW DELHI,JUNE 8 ,2012,१९
http://veerubhai1947.blogspot
कुछ खोना कुछ पाना यही जीवन है....स्वयं के अतिरिक्त और पाने को है ही क्या।
जवाब देंहटाएंवाह जी सुंदर
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...बेहतरीन अभिव्यक्ति:)
जवाब देंहटाएंमुश्किल कदम...
जवाब देंहटाएंअसली बात है-खुद को पाना। किसी को भुलाकर हो कि याद कर!
जवाब देंहटाएंkisi ko bulna itna asan nhe .
जवाब देंहटाएं