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शुक्रवार, 8 जून 2012

Jabse Tumhen Bhuli Hu Khud ko Pa Liya Hai Maine जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....



कितना बदल दिया था
खुद को तुम्हें पाने के लिए 
कैसी जिज्ञासा थी वो ????
कैसा बचपना था ???
जरा भी ना सोचा 
की कब तक पहन सकुंगी
ये झूठा मुखौटा .....
तुम्हें पाने के नाम पर 
खुद को भूलती जा रही हूँ
आज इस मुखौटे को
उतार कर तो देखूँ
की , कितना पीछे छोड़ दिया है खुद को 
या अभी भी मेरा अस्तित्व 
इस मुखौटे के पीछे दम तोड़ रहा है...
अब भी इसमे कुछ जान बाकि है 
बेचारा ,,,,कितना घुटा होगा इस मुखौटे के पीछे 
कैसे भूल गई मै,,,,
मेरा यही अस्तित्व तो मेरी पहचान है......
इस मुखौटे की तरह नहीं 
जिसे मैंने पहना था 
कुछ समय पहले .......
तभी से तो लोग कहने लगे 
की,,,तू कितना बदल गई है....
क्या मेरा बदलना सही था..
जब इस मुखौटे का रंग फीका पड़ता 
तो मेरा असली अस्तित्व 
 सामने आ ही जाता न...
उस वक्त क्या करती मैं 
फिर एक नया मुखौटा लगाती 
अच्छा किया जो आज 
तुम्हें भुलाने का फैसला किया...
तभी तो अंतर्मंथन कर 
पाई हूँ स्वयं का ....
और देखो.....
जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....


37 टिप्‍पणियां:

  1. तभी तो कहते हैं ..प्रेम अंधा होता है...इस में डूब कर आप खुद को भी नहीं देख पाते हो......

    सुन्दर अभिव्यक्ति रीना.

    जवाब देंहटाएं
  2. खुद को पाने के क्रम में जो खोया/भुलाया उसका क्या?
    उहापोह और अंतर्द्वंद की रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! तुमको पाके खुद से दूर हो गए थे हम ......!!!
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  4. Waah ----bahut bahut sundar ta ke saath man ke antardvand ko shabdon me ukera hai----
    badhai
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  5. खुद को पा लिया है मैंने...लेकिन भूलना बहुत मुश्किल है... सुन्दर भाव

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह बहुत खूब ...प्रेम और दर्द की अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  7. जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....

    मन मोहक सुंदर प्रस्तुति ,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूब रीना जी...... अपनी पहचान स्वयं से करवाती रचना... कितना सही लिखा है आपने
    तुम्हें भुलाने का फैसला किया...
    तभी तो अंतर्मंथन कर
    पाई हूँ स्वयं का ....
    और देखो.....
    जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....

    जवाब देंहटाएं
  9. अस्तित्व की तलाश करती सुन्दर अभिव्यक्ति ....

    जवाब देंहटाएं
  10. जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....बहुत सुन्दर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  13. कैसा बचपना था ???
    जरा भी ना सोचा
    की कब तक पहन सकुंगी
    ये झूठा मुखौटा .....
    तुम्हें पाने के नाम पर

    लाजवाब रचना

    जवाब देंहटाएं
  14. ....अच्छा किया जो आज

    तुम्हें भूलने का फैसला किया

    वाह... एक खूबसूरत फैसला.. एक विचारणीय पोस्ट.

    जहाँ तक मुझे लगता है कि सच में किसी को भूलने के फैसले में खुद को हासिल करने जैसे हालात की गुंजाइश होती ही नहीं है... शायद...

    जवाब देंहटाएं
  15. अच्छा किया जो आज
    तुम्हें भुलाने का फैसला किया...
    तभी तो अंतर्मंथन कर
    पाई हूँ स्वयं का ....
    और देखो.....
    जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने...बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति.......

    जवाब देंहटाएं
  16. कविता भावनाओं से ओतप्रोत है |नारी मन की व्यथा उभर -उभर कर आरही है|शब्द -शब्द इसका गवाह है |संवेदना पूर्ण कविता दिल को छू गई |

    जवाब देंहटाएं
  17. एहसास ..
    यकीं है इस एहसास पर?

    जवाब देंहटाएं
  18. जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....

    बहुत सुंदर अहसास कविता में.
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  19. बेहतरीन प्रस्‍तुति
    (अरुन =arunsblog.in)

    जवाब देंहटाएं
  20. आपने सही लिखा है ''जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने..'' यही एक हकीकत है जो मेच्योर होने के बाद समझ में आती है.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
  21. बेहतरीन प्रस्‍तुति.....भूलना आसान नहीं है

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत गहन, भावपूर्ण और सशक्त प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  23. जबसे तुम्हे भूली हूँ ,, खुद को पा लिया है मैंने....
    उन्हें खोके हमने खुद को पा लिया है ,
    एक और मुकाम हासिल किया है ,
    तजुर्बों का .
    बढ़िया रचना है रीना जी .

    जवाब देंहटाएं
  24. .उन्हें खोके हमने खुद को पा लिया है ,
    एक और मुकाम हासिल किया है ,
    तजुर्बों का .
    बढ़िया रचना है रीना जी . .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    रविवार, 10 जून 2012
    टूटने की कगार पर पहुँच रहें हैं पृथ्वी के पर्यावरण औ र पारि तंत्र प्रणालियाँ Environment is at tipping point , warns UN report/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,NEW DELHI,JUNE 8 ,2012,१९
    http://veerubhai1947.blogspot

    जवाब देंहटाएं
  25. .उन्हें खोके हमने खुद को पा लिया है ,
    एक और मुकाम हासिल किया है ,
    तजुर्बों का .
    बढ़िया रचना है रीना जी . .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    रविवार, 10 जून 2012
    टूटने की कगार पर पहुँच रहें हैं पृथ्वी के पर्यावरण औ र पारि तंत्र प्रणालियाँ Environment is at tipping point , warns UN report/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,NEW DELHI,JUNE 8 ,2012,१९
    http://veerubhai1947.blogspot

    जवाब देंहटाएं
  26. कुछ खोना कुछ पाना यही जीवन है....स्वयं के अतिरिक्त और पाने को है ही क्या।

    जवाब देंहटाएं
  27. असली बात है-खुद को पाना। किसी को भुलाकर हो कि याद कर!

    जवाब देंहटाएं

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