बाबुल की सोन चिरैया
अब बिदा हो चली
महकाएगी किसी और का आँगन
वो नाजुक सी कली
माँ की दुलारी
बिटिया वो प्यारी
आँसू लिए आँखों में
यादें लिए मन में
पिया घर चली
ओ भैय्या की बहना
ख्याल अपना रखना
मुरझा ना कभी जाना तू
ओ प्यारी सी कली
ले जा दुआएँ
और ढ़ेर सारा प्यार
बिटिया तेरे जीवन में आए
खुशियों की फुहार
पिया घर सजाना
तू पत्नी धर्म निभाना
खुश रहना तू मेरी बिटिया
ना होना कभी उदास
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सुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : सूर्यपुत्र और ग्रीक कथाएं
माँ के मन के यह उद्गार हृदय के किस तल से निकले हैं ,एक माँ ही अनुभव कर सकती है!
जवाब देंहटाएंरीना मौर्या जी आपकी इस रचना को पुस्तकायन ब्लॉग पर साँझा किया गया है
जवाब देंहटाएंपुस्तकायन ब्लॉग
https://padhatehue.blogspot.com/