तेरे पलकों की छाँव तले
जब मै अपने आँसू सुखाती हूँ .......
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ........
तेरे ममतामयी आँचल तले
कुछ देर जो सो जाती हूँ .....
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ......
तू बहुत अच्छी तरह से जानती है माँ
की मै, छोटी - छोटी बात पर
बहुत जल्दी उदास हो जाती हूँ......
बेचैन होकर तेरे सीने से लग जाती हूँ
सच माँ, तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ......
इधर उधर की बातों से
जब तू मुझको फुसलाती है .......
छोटे - बड़े उदाहरण देकर जब तू
मुझको समझाती है.......
धीरे - धीरे , हौले - हौले
जब बालों को सहलाती है
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ......
मेरी पसंद की चीजे तू बिन मांगे ही ले आती है
मेरे चेहरे की ख़ुशी देख
माँ तू कितनी खुश हो जाती है .......
तेरी ख़ुशी में माँ मै अपने गम भूल जाती हूँ
तेरे पास आकर माँ मै बहुत सुकून पाती हूँ.......
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माँ का साथ हमेशा शुकून भरा होता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, भावपूर्ण
आपकी माताजी को मेरा प्रणाम !
बहुत उम्दा भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंमाँ जैसा कोई नहीं, बहुत सुंदर कहा आपने
जवाब देंहटाएंthank you :-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंमाँ की बराबरी कोई नही कर सकता,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती। आप माँ जी की प्रतिरूप ही हैं।
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन।
maa jaisi koi nahin ......
जवाब देंहटाएंआप का सुकून हमेशा आपके सर पर बना रहे .....खुबसूरत अहसास !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
बहुत सुंदर भाव रीना....तस्वीर भी बहुत प्यारी है....
जवाब देंहटाएंकाफी समय के बाद लिखा है ,और विषय भी खूब चुना ''माँ ''
जवाब देंहटाएंमाँ जैसा कोई नही,सुंदर उदगार ....डॉ अजय
जवाब देंहटाएं“जीवन हैं अनमोल रतन !"
माँ,बहुत दिन हो गए तुम्हें देखे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - सोमवार- 26/08/2013 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः6 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
धन्यवाद :-)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद :-)
जवाब देंहटाएंमाँ के जैसा इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं ... सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंमाँ पे लिखा तो एक शब्द भी काव्य सामान है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंमाँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंतेरे पलकों की छाँव तले
जवाब देंहटाएंजब मै अपने आँसू सुखाती हूँ .......
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ........
बहूत खूब .. सुन्दर अभिव्यक्ति ..
-माँ अतुलनीय -बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंlatest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
आपको पढ़ते हुए एकदम से माँ की छवि आँखों के सामने छा गयी ......
जवाब देंहटाएंतेरे ममतामयी आंचल तले
कुछ देर जो सो जाती हूं.....
मां ! तब मै बहुत सुकून पाती हूं......
भावनाप्रधान रचना
आदरणीया रीना मौर्य जी
आपकी माताजी और आप एक जैसी ही दिख रही हैं...
बहुत अच्छा लगा ।
माताजी को मेरा प्रणाम कहिएगा !
कविता अच्छी है...
और श्रेष्ठ सृजन हेतु शुभकामनाएं !
❣ मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंरीना जी माँ के बारे कितना भी कहें लिखे कम है .....सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमाँ एक ऐसा शब्द है जिसके आगे कुछ कहने की ज़रुरत ही नहीं.. अद्वितीय पोस्ट....
जवाब देंहटाएंमाँ होती है सुकून के लिए कल्प तरु की तरह
जवाब देंहटाएं'माँ' अति सुन्दर..
जवाब देंहटाएंमाँ का दूसरा नाम ही सुकून है...बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमाँ सुकून की गह्त्री लिए रहती है साथ में उम्र भर ...
जवाब देंहटाएंउसकी छाया कभी कम नहीं होती ...
सुन्दर भावमय ... दिल को छूती हुई रचना ...
तेरे पलकों की छाँव तले
जवाब देंहटाएंजब मै अपने आँसू सुखाती हूँ .......
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ........
सुन्दर रचना ...
माँ के आंचल सा सुकून और कहां ।
जवाब देंहटाएंअभी बहुत देर माँ से बातें की हैं फोन पर, और अब आपकी ये कविता!! :)
जवाब देंहटाएंमाँ के बारे कितना भी कहें लिखे कम है
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