काश इस वक्त को भी
हमसे प्यार हो जाए
जब आप दूर रहो
तो ये वक्त तेजी से गुजरता जाए
और जब आप पास आओ तो
ये वक्त चुपके से ठहर जाए
काश इस वक्त को भी हमारे
प्यार पर प्यार आ जाए
घड़ी के तीनों काँटों कि आवाज को महसूस किया है हर लम्हें में तुम्हें याद किया है वक्त कि हर आहट याद तुम्हारी दे जाती है कभी तुमसे मीलने कि खुशी कभी बिछड़ने का गम साथ ले आती है कुछ ख्वाहिशे वक्त कि मोहताज होती है शायद वो ख्वाहिशे पूरी भी हो जाये कभी.. पर वो बिता हुआ वक्त फिर लौट कर नहीं आ सकता.. जिस वक्त में इन ख्वाहिशो को पूरा होना था.. अजीब दास्ताँ है ये.. |
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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013
wakt वक्त
गुरुवार, 19 दिसंबर 2013
Tera Roop Mera Rang तेरा रूप मेरा रंग
तू कला मै कविता
तू सोच मै शब्द
तू कागज मै कलम .......
चलो बनाएँ एक
ऐसी बोलती तस्वीर ,,,,,
जिसमे रूप तुम्हारा हो
और रंग मेरा ......
जिसमे जिस्म तुम्हारा हो
और सांसे मेरी .....
जिसमे दिल तुम्हारा हो
और धड़कने मेरी ....
जिसमे आँखे तुम्हारी हो
और सपने मेरे ....
जिसमे होंठ तुम्हारे हो
और मुस्कुराहट मेरी ....
जिसमे भावना तुम्हारी हो और
अहसास मेरे .....
आओ गढ़े एक ऐसा चित्र
जिसमे तेरा रूप और मेरा रंग
मिलकर बन जाए प्रेम तरंग .....
|
बुधवार, 11 दिसंबर 2013
Kaha Ho Tum कहाँ हो तुम
सप्ताह के अंत में
होता था तुम्हारा आना …
वो एक शाम
जो गुजारा करते थे
तुम मेरे नाम ......
प्रेम कि उष्णता लिए
होंठो पर ढ़ेर सारी मुस्कान
बिसराकर सारे गम - और - ख़ुशी
हो जाती तुम्हारे प्रेम में
मै पगली गुमसुम गुमनाम.....
पिछले कई सप्ताह से
कर रही हूँ तुम्हारा इंतजार ....
कहाँ खो गए तुम .....
वो प्रेम कि ऊष्मा अब
इंतजार कि ठंड में बदल रही है ....
आँखों के बरसते आंसू अब
इंतजार कि हद बता रहें हैं ....
कहाँ हो तुम
कहाँ चले गए.....
|
रविवार, 8 दिसंबर 2013
Mai haari par prem jeet gaya मैं हारी - पर मेरा प्रेम जीत गया
कोई जीत कर भी कभी -कभी प्रश्नचिन्ह सा रह जाता है,,,
पर प्रेम में प्रेम के लिए हारना कितना सुखद अनुभव देता है
अपने प्रेम को जीत कि ख़ुशी में आनंदित देख मेरा समर्पण कितना तृप्त हो जाता है ..
प्रेम कि ख़ुशी और मन कि तृप्ति के लिए ये हार मुझे तो हार सी नहीं लगती....
लो आज फिर हार गई मैं
" मैं हारी - पर मेरा प्रेम जीत गया "
हारकर भी जीत का सुखद अनुभव
आहा || मन कितना तृप्त हो गया
हाँ यही तो प्रेम है.....
ये मेरा अलग सा प्रेम अहसास है..
इसलिए तो जरा खास है........
सुखद हार जीत के बाद अब कुछ मीठा हो जाये....
:-)
रविवार, 1 दिसंबर 2013
Nanhi Chidiya Aur Uske Sawaal नन्हीं चिड़िया और उसके सवाल
----नन्हीं चिड़िया---
जो उड़ना चाहती थी अपने हिस्से कि उड़ान
देखना चाहती थी खुला आसमान ......
नापना चाहती थी अपने हौसलों कि ऊंचाई को
और पूरा करना चाहती थी
अपने कुछ अरमान .......
पर ऐसा हो ना पाया
निकली छोड़कर जब घोंसला अपना
चील -कौवों के तो हो गए वारे- न्यारे ,,,,
थी इस सत्य से वो अंजान
कि, कुछ नशीली आँखे,,,,
उसकी ऊंचाइयों को देख नहीं पा रहीं है
कुछ कि चोंच उसे नोच खाने
को बेसब्र , बड़ी आतुरता से
अपने पुरे वेग से उसकी ओर बढ़े जा रहा है .......
देख इनकी दृष्टता मन घबराया
बचाने अपने दामन को
झट्ट लौट आई,,,,
अपने उस नन्हें घोंसले में
क्या ये घोंसला ही उसकी मर्यादा बनकर रह गयी है
सवाल???
ह्रदय दहलाने वाला सवाल ???
वो पुरुष जो माता के बराबर ही सृजनकर्ता है ,,,,,
जो बरगद कि छाँव कि तरह है ,,,,,
रक्षाबंधन पर अपनी बहन कि
रक्षा करने का वचन लेता है ,,,,,
फिर क्यूँ वो अपने घरों से बाहर निकलकर
बन जाता है चील और कौवा,,,,
नोंच खाने को तत्पर - व्याकुल ......
एक नन्हीं चिड़िया
क्यूँ देखती है सभी को शक कि नजर से
सवाल ???
मन को डरानेवाला ???
बुधवार, 27 नवंबर 2013
Shyaam Teri Bansi Ki Dhun श्याम तेरी बंसी की धून
......श्याम तेरी बंसी की धून......
सबको रिझाये
मनवा बहकाये
....सुध -बुध भुलाये ....
बस तेरी ओर
खिंचा चला आये
मोहे काहें तड़पाये
बंसी बजाये
मंद मंद मुस्काये
मोहे छेड़े,,,,,
सताये ....
मुहवाँ बिचकाये
गगरिया फोड़ मोरी
मोहे ठेंगा दिखाए
......श्याम तेरी बंसी की धून.....
....सुध -बुध भुलाये....
सब रास कहे
सब लीला कहे
मैं जानू तेरी
साजिशों को सब
अपने प्रेम में
दीवाना काहें
मुझको बनाये
.....श्याम तेरी बंसी की धून.....
.....सुध -बुध भुलाये....
मन तेरी ओर खिंचा
चला आये.....
सबको रिझाये
मनवा बहकाये
....सुध -बुध भुलाये ....
बस तेरी ओर
खिंचा चला आये
मोहे काहें तड़पाये
बंसी बजाये
मंद मंद मुस्काये
मोहे छेड़े,,,,,
सताये ....
मुहवाँ बिचकाये
गगरिया फोड़ मोरी
मोहे ठेंगा दिखाए
......श्याम तेरी बंसी की धून.....
....सुध -बुध भुलाये....
सब रास कहे
सब लीला कहे
मैं जानू तेरी
साजिशों को सब
अपने प्रेम में
दीवाना काहें
मुझको बनाये
.....श्याम तेरी बंसी की धून.....
.....सुध -बुध भुलाये....
मन तेरी ओर खिंचा
चला आये.....
रविवार, 24 नवंबर 2013
Ek Sasuraal Aisa Bhi एक ससुराल ऐसा भी
सुबह सुबह ५ बजे उठकर
माँ रूपी सास से मीठा मीठा
प्रसाद ग्रहण कर लेने के बाद .......
अब चली है रसोई में
फीकी सी चाय बनाने ......
सासु माँ कि बोली में इतनी मिठास है की,,,,,
उन्हें मधुमेह हो गया है...
अब बहु उन्हें मीठी सी चाय पीलाकर ,,,
स्वर्ग नहीं पहुँचाना चाहती है.....
पतिदेव को बड़े प्यार से जगा तो दिया है
पर उठते ही पत्नी का चेहरा देखने के बजाय ,,,,
उनकी नजरे अपने दाहिने हाथ की कलाई
पर चली जाती है,,
सोने के ब्रेसलेट की आस लगाये बैठे थे बेचारे
जो ससुराल वालों से पूरी ना हो पाई...
तभी से मुँह कसा हुआ है उनका.....
कम बोलने लगे हैं बेचारे....
वहीँ लाड़ली ननद रानी
जो पुरे घर की हैं महारानी...
छोड़- छाड़ के अपना घर बार
लगा बैठी हैं मइके में दरबार.....
देवर जी के ठाठ निराले
अंग्रेजी में ता- था- थैय्या
भाभी के ना पड़े हैं पाले....
पर ससुर जी तो पुरे देवता सामान...
पर बेचारे के पुरे ना हो पाए थोड़े अरमान...
ज्यादा नहीं बस थोड़ी खातिर करवानी थी..
अपने मेहमानों को भेंट रूप थोड़ी उपहार दिलवानी थी..
पाए ही क्या थे ये जनाब ...
एक हीरो हौंडा बाईक,,,, ५ लाख नकद,,
१२ तोला सोना ...और बस
घर के छोटे- मोटे सामान...
एक ससुराल ऐसा भी होता हैं..
जहाँ बेटों को पैसों में और
बहुओं को दहेज़ पर तोला जाता हैं...
पूरी कर दो जब इनकी मनमानी
तो बनेगी बिटिया घर की महारानी...
नहीं तो सुबह-सुबह ५ बजे उठकर..
बिटिया सुनेगी...
सासु माँ की मीठी वाणी...
रविवार, 17 नवंबर 2013
Naari Bhavna नारी भावना...
भावना हवा बनकर उड़ना चाहती थी
पर घास बनकर जमीं से ही सटकर रह गयी .....
भावना पंछियों कि तरह उड़ना चाहती थी
पर पंख पसारे वह मोरनी कि तरह नाचती रह गयी....
भावना करुणा से पिघलती गयी
भावना भावनाओं में बहकती गयी......
भावनाओं के इस अथाह सागर में
हर किसी ने तृप्ति लगायी
हर किसी ने मलिन तन-मन लिए
भावना के प्रेम सागर में डुबकी लगायी......
किसी कि मलिन नजरे .........
किसी कि मलिन आत्मा ......
सबने भावना को छला
सबसे भावना कि लहरें टकराई .......
तो क्या भावना मलिन हुई ?????
और हुई तो क्यों???
उसने तो किसी को नहीं छला ,,,,
उसने तो किसी को नहीं ठगा ,,,,
और ग़र समझते हो वो मलिन नहीं ,,,,
तो क्या कभी
उस भावना के गहरे सागर में
डूबकर निकालोगे उसके निश्छल ,
निष्कपट प्यार का वो कीमती मोती ????
नारी भावना. कोमल हृदयवाली.. जिसे ठगनेवालों कि कमी नहीं..कभी प्रेम का ढोंग कर उन्हें झलते है , कभी एसिड से उनकी जिंदगी को झुलसा देते है..तो कभी राह चलते उनके साथ बत्तमीजियां कर उनकी भावना को अक्सर ठेस पहुंचाते है..बस इसी पर मेरी रचना है..
मंगलवार, 12 नवंबर 2013
Naa men bhi pyar hota hai " ना " में भी प्यार होता है...
जानती हूँ तुम मुझे मना नहीं करते किसी भी चीज के लिए,, पर कभी - कभी तुम्हारी ना सुनने को जी चाहता है....
इसलिए जानबूझकर कुछ ऐसी बात कर ही देती हूँ की तुम चाहकर भी हाँ ना बोल पाओ .....
और मैं तुम्हारी ना सुन पाऊँ...
अरे || ना में भी तो प्यार होता है
फिक्र होती है ,,, ख्याल होता है...
और यही तो प्यार होता है.....
उसदिन तुमसे पूछ लिया था,,,अपने दोस्त की शादी में चली जाऊँ दो दिन के लिए..( तेज बुखार होने पर भी)
और तुम्हारा जवाब झट्ट से " ना " ....
उस वक्त कितना मजा आया था बता नहीं सकती....
बस ऐसे ही मजे लेने को मन कर जाता है कभी-कभी... और पूछ बैठती हूँ तुमसे उलफ़िज़ूल सवाल..
और सुन लेती हूँ तुमसे मीठी सी "ना"
आह||
मीठी सी नोंक- झोंक के बाद कुछ मीठा हो जाये..
:-)
शुक्रवार, 1 नवंबर 2013
Dipawali haiku दीपावली हाईकु
..... दीपावली हाईकु .....
धनतेरस
जलाएँ यमदीप
प्रकाश लाएँ .....
प्रकाश पर्व
आनंद उल्लास का
ख़ुशी का पर्व .....
दीपक जले
रौशनी को फैलाए
खुशियाँ लाए .....
मिठाई देख
मनवा ललचाए
मुँह में पानी ......
लक्ष्मी कि पूजा
गणेश कि आरती
मन प्रसन्न .....
मंगल पर्व
ले लो नए संकल्प
खुशी फैलाओ ......
पटाखे फोड़े
फुलझरी जलाएँ
पर्व मनाएँ.....
आशा के दीप
खुशियों कि रंगोली
शुभ दीवाली.....
शनिवार, 12 अक्टूबर 2013
Dil se dil tak ... दिल से दिल तक ...
खामोश मेरी आँखों के
झलकते गीतों को .......
तुमने शब्दों से भर दिया
तुमसे बड़ा कवि
मेरे लिए और कहाँ.....
आदत नहीं है मुझे तेरी
तुम इबादत बन गए हो मेरी ....
आदत तो बनती बिगड़ती है
पर इबादत की हर दुआ
में अब तुम्हारा नाम आता है......
मुझे मेरे महबूब में
अब खुदा नजर आता है.....
मेरे अश्क अश्क में प्यार है तेरा,,
बूंद बूंद में इकरार है तेरा .....
मेरी हर सिसकियों में,,
ये इजहार है मेरा,,
हाँ मुझे तुमसे मोहब्बत है....
मोहब्बत है,,, मोहब्बत है....
सोमवार, 7 अक्टूबर 2013
Meri Maa मेरी माँ ....
ममतामई ....
शीतल छाँव है माँ
मेरी प्यारी माँ .....
जीवनदायी .....
पूर्णता का आभास
सुख सागर .....
थामे हाँथ माँ .....
जीवन की डोर माँ
करुणामयी .....
मिलता चैन ....
आँचल तले माँ के
ढ़ेरों आशीष ......
दे ज्ञान मुझे .....
फूलों सा महकाती
सूर्य बनाती .....
सखी भी है तू ......
रास्ता भी बनती तू
मेरी खुशी माँ.....
हौसला है तू.....
पूजनीय है तू माँ
मेरी प्यारी माँ.....
*************************************
सोमवार, 30 सितंबर 2013
Khyalo ke Badal खयालों के बादल
उमड़ - घुमड़ नाचते है मेरे आसपास
वो खयालों के बादल ........
बरसने से पहले जैसे बदलते है रंग बादल
आकाश में विचरते है यहाँ से वहाँ .......
फिर एक रंग और तेज रिमझिम फुहार
ऐसे ही है मेरे खयालों के बादल भी ........
विचरते है सोच की आकाश गंगा में
और जब भर आता है उनका मन .........
फिर बरस पड़ते है मेरे खयालों के बादल भी
कोरे कागज पर..........
भिगो देते है मेरे मन को अपनी भावना से ,,,,,,
इस भीगे मन से मै भी सींचने लगती हूँ
एक नई सृजन की फसल...
रविवार, 15 सितंबर 2013
Adhure Chaand ki puri Raat अधूरे चाँद की पूरी रात ...
करवट - करवट बदलती
..... सिलवट - सिलवट चादरों की .....
चुप सी बात , ढ़ेर सारे जज्बात
.......दो अजनबी एक रात .....
.......मुस्कानों की बरसात.....
कभी दाएँ से- कभी बाएँ से
भीनी खुशबू, मोगरे की वास
......अँधेरी रात ......
....माथे का अधुरा चमकता चाँद .....
नींद को तोड़ती
......कंगन की खनखनाहट .....
पर खामोश जुबान
.....मुस्कुराहट बार - बार कई बार ....
अब ख़त्म हो गई
अधूरे चाँद की पूरी रात
.......लो भोर जो हो गई .....
सुन्दर बीती रात
अनछुए पहलू से
पूर्ण निष्ठा और विश्वास
दो सूत्र मिले
......महकाने को घर - संसार .....
उस अधूरे चाँद की पूरी रात में......
इस सूत्र के साथ हो गई नई शुरुवात
......नए रिश्तों के सुन्दर सफ़र की.....
..... सिलवट - सिलवट चादरों की .....
चुप सी बात , ढ़ेर सारे जज्बात
.......दो अजनबी एक रात .....
.......मुस्कानों की बरसात.....
कभी दाएँ से- कभी बाएँ से
भीनी खुशबू, मोगरे की वास
......अँधेरी रात ......
....माथे का अधुरा चमकता चाँद .....
नींद को तोड़ती
......कंगन की खनखनाहट .....
पर खामोश जुबान
.....मुस्कुराहट बार - बार कई बार ....
अब ख़त्म हो गई
अधूरे चाँद की पूरी रात
.......लो भोर जो हो गई .....
सुन्दर बीती रात
अनछुए पहलू से
पूर्ण निष्ठा और विश्वास
दो सूत्र मिले
......महकाने को घर - संसार .....
उस अधूरे चाँद की पूरी रात में......
इस सूत्र के साथ हो गई नई शुरुवात
......नए रिश्तों के सुन्दर सफ़र की.....
शनिवार, 14 सितंबर 2013
Hakikat hai ye koi kahani nahi. हकीकत है ये-- कोई कहानी नहीं.
हकीकत है ये -- कोई कहानी नहीं....
(नायिका ---सौम्या... नायक ---- प्रथमेश.. ----समीर -----निहालिका..... फिर से एक कोशिश कि है कहानी लिखने कि..कैसी है बताइये जरूर...:-)...)
एक सुन्दर सी पर थोड़ी चुप सी रहनेवाली सौम्या.....और प्रथमेश जिद्दी, नटखट शरारती था...फिर भी ये दोनों दोस्त बन गए.....साथ ही पढ़ना - लिखना . स्कूल जाना - आना....सारा वक्त साथ रहते थे......अगर भगवान ने रात ना बनाई होती तो उस वक्त भी ये साथ रहते....कभी खुद के कामो में व्यस्त कभी एक दुसरे कि पढाई में मदद करते थे...
स्कूल के बाद उन दोनों ने एक ही कॉलेज में दाखिला लिया. वहां भी इन दोनों की दोस्ती ऐसी ही थी....कॉलेज के सभी छात्रों को लगता था की वे एक दुसरे को प्यार करते है ...पर वे हमेशा इस बात को नकार देते है..कॉलेज का ही एक छात्र जो सौम्या को पसंद करने लगा था....और जब उसे यकीन हो गया की सौम्या और प्रथमेश सिर्फ दोस्त है ,,,तो अपने दिल की बात वो अपने दोस्तों को भी खुलेआम बताने लगा....
तुमसे मिलने के बाद ये अहसास आया
कितने अकेले थे हम ये ख्याल आया
अब जिंदगी तेरे साये में यू ही बीत जाये
बरसो की तन्हाई का अब अंत हो जाए ....
समीर ने अपने प्यार का इजहार सौम्या से भी कर दिया....
पर सौम्या तो इन सबसे बहुत डरती थी इनसे वो बहुत ही उदास हो गयी थी वो प्रथमेश के अलावा और किसी पर भी भरोसा नहीं करती थी ...उसने प्रथमेश को समीर की इस हरकत के बारे में बता दिया...
प्रथमेश ने सौम्या की उदासी दूर करने के लिए.उसे इन सब से छुटकारा दिलाने के लिए कॉलेज के ग्राउंड में सौम्या का हाथ थाम सबके सामने कह दिया की ..वो सौम्या से प्यार करता है, सौम्या और वो साथ साथ है.. सौम्या को इस बात से बहुत ख़ुशी हुई मानों जैसे प्रथमेश ने उसके दिल की बात कह दी हो...और वो उस दिन से कुछ बदल सी गयी थी..
कभी सोचा ना था की यूँ खो जाएगी जिंदगी
किसी के इंतजार में , कभी सोचा न था की यूँ
बदल जाएगी जिंदगी किसी के प्यार में ...
सौम्या प्रथमेश को किसी और लड़की के साथ बात करते हुवे देख नहीं सकती थी....हर वक्त उसके साथ रहने की कोशिश करती थी...प्रथमेश को बात बात पर टोकती हर वक्त किसी न किसी बात को लेकर उससे शिकायते शुरू कर देती...
नजदीकिया इतनी न बढाओ
की हर बात अब शिकायत सी लगे ..
प्रथमेश सौम्या की इस हरकत से नाराज सा खिझा- खिझा सा रहने लगा....कॉलेज ख़त्म हुआ ..और प्रथमेश आगे की पढाई के लिए अमेरिका चला गया. उसे वहां अच्छी नौकरी मिल गयी....और वो अमेरिका में ही रहने लगा...
सौम्या भी नौकरी करने लगी थी..प्रथमेश को बहुत याद करती थी ... प्रथमेश की जुदाई को सह नहीं पाई हर किसी में वो प्रथमेश को तलाशती..
गुलाब पाने की चाहत में
आँख बंद कर चल दिए
और न जाने कितने काँटों से चोट खायी ..
वो शांत सी चुप सी सौम्या जो प्रथमेश के सिवाय किसी और पर भरोसा भी नहीं करती थी वो आज हर किसी के साथ घुमती दिखाई देती है ..बस मरना ही बाकी रह गया था बाकि सारी हदे पार कर दी थी सौम्या ने.....
जिंदगी में उसकी तलाश आखिर कब तक
जो नहीं मिल सकता उसका इंतजार आखिर कब तक ....
समीर ने कई बार सौम्या से बात करनी चाही पर समीर को देखते ही सौम्या बहुत ही गुस्सा हो जाती थी...सौम्या की इस हरकत से समीर लाचार हो गया था...समीर सौम्या पर नजर रखने लगा ...एक गुमनाम दोस्त बनकर उसने सौम्या की मदद करना शुरू कर दिया.....
जब भी वो सौम्या की कोई मदद करता था,,,,फिर चुपके से एक लेटर सौम्या तक पहुंचा देता...
तुम्हारा दोस्त
तुम्हारे साथ....:-)
सौम्या उन सारे खतों को संभाल कर रखती थी....कई बार उसने ये जानने की कोशिश की ,,, की ये कौन है..पर उसकी कोशिश बेकार हो जाती...
सौम्या जिस ऑफिस में काम करती थी उसी ऑफिस में समीर की बहन भी थी...निहालिका.....
सौम्या और निहालिका दोस्त थे..पर एक दुसरे की पिछली जिंदगी से अंजान....
एक दिन अपने जन्मदिन पर निहालिका सौम्या को अपने घर ले गई ...
उसने अपने परिवार से मिले सभी गिफ्ट सौम्या को दिखाए... उसमे एक ग्रीटिंग कार्ड था.... सौम्या को वह लिखावट जानी- पहचानी लगी उसने झट से अपने पर्स में से वो लेटर निकाले...ग्रीटिंग कार्ड की लिखावट और ख़त की लिखावट एक जैसी थी....सौम्या ने उस लेटर को अपने पर्स में रख दिया.....और ग्रीटिंग कार्ड की तारीफ करते हुवे निहालिका से पूछा की ये कार्ड उसे किसने दिए है...निहालिका ने कहा : समीर भैया ने..बस अपने समीर भैया के बारे में वो बताने लगी....इससे सौम्या को समीर के बारे में पता चला की वो क्या काम करता है...उसका ऑफिस कहा है....और कई बाते.....
एक दिन शाम के वक्त सौम्या सड़क पार कर रही थी अचानक एक तेज रफ़्तार से ट्रक सौम्या की तरफ बढ़ रहा था....सौम्या घबरा गयी जैसे उसके सुनने - समझने की छमता ही खो गयी हो. और बिच सड़क पर ही स्तब्ध खड़ी हो गयी....ट्रक उसके नजदीक बढता ही जा रहा था....समीर ने देखा और उसे सड़क के किनारे खिंच लाया पास के बेंच पर बैठा दिया....इससे पहले की सौम्या को होश आए और समीर को देखकर वो गुस्सा हो जाये समीर ने हमेशा की तरह एक लेटर सौम्या के पर्स पर रखकर वहां से चला गया....
तुम्हारा दोस्त
तुम्हारे साथ....:-)
:-)
कुछ समय बाद जब सौम्या को होश आया तो उसने वो लेटर देखा ...
इस बार सौम्या ने उस लेटर के निचे....
तुम्हारा दोस्त
तुम्हारे साथ....:-)
:-)
thanks sameer
today muskan park....
6.30 pm :-)
इसे समीर के घर भेज दिया...
:-)
शुक्रवार, 6 सितंबर 2013
रविवार, 1 सितंबर 2013
Kankrit ke jangal कंकरीट के जंगल
कभी इन्हीं जगहों पर हुआ करते थे
बड़े- बड़े जड़ -लताओंवाले वृक्ष
सुगन्धित फूलों के पौधे
हरियाली फैलाती दूर तक बिछी घास
तरह -तरह के पंछी और उनकी मीठी आवाज.....
अपने अन्दर कई खूबसूरती और
रहस्य को छुपाये ये जंगल .......
और इसके पास छोटे छोटे
घरों में रहनेवाले सामान्य लोग
जो सारा दिन काम करने के बाद
इन वृक्षों के निचे बैठ कुछ पल को
ठंडी साँस लेते थे.......
परन्तु बदलते परिवेश और आधुनिकता ने चारों ओर
कंकरीट के जंगल बना दिए है
अब तो चारों ओर केवल कंकरीट
की इमारतों का ही कब्ज़ा है ......
इन इमारतों की खूबसूरती में बिकते लोग
कोई बनाने की चाहत में बिक रहा है
मानवीयता बेच के संवेदनहीन हो रहा है ......
तो कोई खरीदने की चाह में
खुद को बेंच रहा है.........
और इस खूबसूरती में रहनेवालों की ठाठ ही अलग है
बंद खिड़की और दरवाजों के अन्दर चाहे जो है......
पर बहार निकलते ही ये बन जाते है
बड़े साहब और मेम साहेब
और पहन लेते है आधुनिकता के
काले कोट बड़े साहेब जी
और डिजाइनर साड़ी में मेम साहेब जी.....
एकदम खानदानी .....
बहुत ही सुन्दर है ये कंकरीट के जंगल....
और इसके लोग....
शुक्रवार, 23 अगस्त 2013
Maa माँ
तेरे पलकों की छाँव तले
जब मै अपने आँसू सुखाती हूँ .......
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ........
तेरे ममतामयी आँचल तले
कुछ देर जो सो जाती हूँ .....
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ......
तू बहुत अच्छी तरह से जानती है माँ
की मै, छोटी - छोटी बात पर
बहुत जल्दी उदास हो जाती हूँ......
बेचैन होकर तेरे सीने से लग जाती हूँ
सच माँ, तब मै बहुत सुकून पाती हूँ ......
इधर उधर की बातों से
जब तू मुझको फुसलाती है .......
छोटे - बड़े उदाहरण देकर जब तू
मुझको समझाती है.......
धीरे - धीरे , हौले - हौले
जब बालों को सहलाती है
माँ तब मै बहुत सुकून पाती हूँ......
मेरी पसंद की चीजे तू बिन मांगे ही ले आती है
मेरे चेहरे की ख़ुशी देख
माँ तू कितनी खुश हो जाती है .......
तेरी ख़ुशी में माँ मै अपने गम भूल जाती हूँ
तेरे पास आकर माँ मै बहुत सुकून पाती हूँ.......
............................................................................................
..................................................................................................
बुधवार, 24 जुलाई 2013
Luka Chhupi लूका छुपी
तेज रिमझिम फुहार का आना
बिजली का कड़कडाना
अँधेरी रात में हवाओं का बहना
खिड़की बंद करने में मैं उलझी रहती
धीरे से तुम्हारा कानों में आकर फूंक जाना..
फिर झट से कहीं जाकर छूप जाना...
आह | वो लूका छुपी का खेल कीतना सुहाना....
तुम्हें यहाँ - वहाँ ढूंढ़कर परेशान हो जाना
बत्तियाँ जलाना......
तुम्हारा बार- बार आकर बत्तियाँ बुझा जाना...
फिर कहीं से चुपके से आकर..
मेरे कंधे पर हाथ रखकर
फिर झट से कहीं छूप जाना
आह| वो लूका छुपी का खेल कीतना सुहाना....
मेरा नाराज होना , तुमसे रूठ जाना...
तुम्हारा बातें बनाना , मुझे मनाना
कभी मेरे पसंद का फूल देना....
कभी मेरी पसंद की रसमलाई लाना...
कभी मेरी पसंद के गीत गुनगुनना
तरह - तरह के पैंतरे अपनाना
मुझे मनाना ...
आह| | वो लूका छुपी का खेल कीतना सुहाना....
गुरुवार, 4 जुलाई 2013
Meri aankhe मेरी आँखे..
तेरे तसव्वुर से जब रोशन होती हैं आँखे
दूर होती है मुझसे और करतीं हैं तुझसे बातें....
तेरे चहरे को जब देखती हैं आँखे
स्मित मुस्कान लिए चमकती है आँखे....
तेरे विरह से जब रोती हैं आँखे
खुलती- बंद होती तड़पती मेरी आंखे....
तेरे सरुर से जब व्याकुल होती हैं आँखे
मिलने को तुझसे बरसती हैं आँखे....
तेरे अधरों को जब तकती हैं आँखे
पुलकित हो मन ही मन नाचती है आँखे....
तेरी आँखों से जब करतीं हैं बाते,, मेरी आँखे..
सलज्ज तेरे पलकों के भीतर सिमटती हैं मेरी आँखें....
शुक्रवार, 14 जून 2013
Tere Aane se ....तेरे आने से.....
तेरे आने से सँवर जाउँगी
तेरे जाने से बिखर जाउँगी ......
सोना चाँदी , हीरा , मोती
श्रृंगार नहीं है मेरा
तेरी मीठी नजरों से
अब खुद को सजाउंगी.......
तेरी बातों में आशियाँ बनाउंगी
तेरी खुशियों का मांगटीका
बनाकर माथे लगाउंगी .........
तेरे गीतों को मै कान की बालियाँ बनाउंगी ....
तेरे प्यार की चुनर ओढ़ मै निखर जाउँगी .......
तेरे आने से सँवर जाउँगी
तेरे जाने से बिखर जाउँगी ......
तेरे रंग में रंग जाउँगी
तेरे ढ़ंग में ढल जाउँगी ......
हर वादियों में अब तुम्हें
मै ही नजर आउंगी
तेरे आने से सँवर जाउँगी
तेरे जाने से बिखर जाउँगी ......
शनिवार, 11 मई 2013
Jhut Jhut Ya Sacha Pyaarझूठा झूठ या सच्चा प्यार ....
सच के साथ ही
झूठ भी चलता है कहीं- कहीं
कुछ -कुछ थोड़ा कुछ
जिसे तुम्हारी नजर से छुपाया है.......
उसे बाहर निकालूँ तो न जाने
कितनी ही बाते सामने आएँगी ......
जो तुमसे झूठ कहा है मैंने
या कभी कहा ही नहीं....
पर्त- दर-पर्त झूठ का पर्दा
खुलता ही जायेगा
कुछ छोटा झूठ , कुछ बड़ा झूठ
कुछ वजह लिए , कुछ बेवजह सा....
तुमने कहा तुम्हे नीला रंग पसंद है
मैंने भी तुम्हारी हाँ में हाँ मिला दी .....
तुमने कहा मुझे तुम पहली ही
नजर में पसंद आ गयी थी ......
अब मैं क्या कहूँ
जरुरी नहीं जो तुम्हारे साथ हुआ
वो मेरे साथ भी हो
पर तुम्हारी खुशी के लिए .....
चलो हाँ ... एक झूठ और
पहले भी न जाने कितने ही झूठ बोली हूँ ......
और अब भी बोल रही हूँ
और आगे भी न जाने कितने ही झूठ बोलने पड़े
कभी तुम्हें पा लेने की इक्षा से
कभी तुम्हें खो देने के डर से...
ये सही है या गलत पता नहीं .......
पर कभी तुम मेरे झूठ को पकड़ भी लो
तो उसे मेरे प्यार से सजा देना
एक बार ऐसा करके तो देखना ......
फिर देखना मेरे झूठ का रंग
और बताना मुझे
झूठ ज्यादा झूठा है....
या प्यार जादा सच्चा.....
सच में नहीं पता झूठ जादा झूठा है या प्यार जादा सच्चा.. आप बताइए... :-) |
शनिवार, 23 मार्च 2013
ibadat इबादत ...
तेरी मोहब्बत इबादत है मेरी .....
तू है , तुझसे है,, ये चाहत मेरी
ख़त्म न हो कभी ये इबादतों का सिलसिला
प्रार्थना में माँगी हमने ....
हरदम मोहब्बतें तेरी.....
बेचैनी इधर भी है उधर भी .....
आग इधर भी लगीं है उधर भी
ना जाने कौन किसकी पहलू में है .....
कौन किसकी आगोश में
बस दो दिल पिघल रहे हैं ....
एक - दुसरे की पनाहों में
शमाँ जल रही है इश्क की.....
रोशन चिराग इधर भी है उधर भी....
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